Core Web Vitals in Hindi: क्या है और वेबसाइट की परफॉर्मेंस कैसे सुधारें

Core Web Vitals in Hindi इस आर्टिकल में हम जानेंगे Core web vitals in Hindi क्या है, इसे कैसे देखें और इसका सही तरीके से इस्तेमाल कैसे करें, मैं आपको Core web vitals in Hindi के बारे में सब कुछ बताऊंगा इसमें मैं आपको बताऊंगा कि आपकी वेबसाइट का प्रदर्शन कैसा है तो चलिए शुरू करते हैं

जब भी किसी वेबसाइट को गूगल पर आप देखते हो तो हर वेबसाइट की परफॉर्मेंस थोड़ी अलग-अलग होती है कोई वेबसाइट जल्दीओपन होती है कोई वेबसाइट देर में ओपन होती है किसी वेबसाइट का अच्छा इंटरफेस होता है किसी वेबसाइट का बेकार इंटरफेस होता है तो यह सब Core web vitals इसी के अंदर आता है

Core web vitals in hindi क्या है

Core web vitals in hindi मतलब है कि आपकी वेबसाइट का प्रदर्शन कैसा है, जब कोई आपकी वेबसाइट खोलता है, तो आपकी वेबसाइट कितनी जल्दी खुलती है, वेबसाइट खुलने के बाद, आपकी वेबसाइट पर बटन काम कर रहे हैं या नहीं, आपकी वेबसाइट पर इमेज कितनी जल्दी लोड होती हैं, यह सब इसमें सबसे ज्यादा देखा जाता है।

इसके अंदर सबसे ज्यादा जो है वह तीन चीज देखी जाती है वह तीन चीज ही है मैं आपको बताता हूं

  1. LCP: Largest Contentful Paint
  2. FID: First Input Delay
  3. CLS: Cumulative Layout Shift

आपको इन सभी को एक-एक करके समझाता हूं यह क्या होते हैं इनका क्या काम होता है

LCP: Largest Contentful Paint

Core web vitals in hindi
Core Web Vitals in Hindi

इस मैट्रिक्स के अंदर यह चीज देखी जाती है किआपका पेज गूगल के अंदर कितनी जल्दी ओपन होता है कितना टाइम वह लेता हैआपका पेज ओपन होने मेंअगर कोई व्यक्ति आपके पेज पर आके क्लिक करता है तो कितनी जल्दी आपका पेज खुलता है जो टाइम है पेज को ओपन होने का वह कुछ यह है

  1. Good: 2.5 seconds या उससे कम
  2. Needs Improvement: 2.5 – 4.0 seconds के बीच
  3. Poor: 4.0 seconds या उससे ज्यादा

कैसे ठीक करें

जब भी आप अपने कंटेंट में इमेज का इस्तेमाल करते हैं तो आपको इमेज का साइज कम करके और उसे कंप्रेस करके अपलोड करना होता है। ठीक इसी तरह से आपको वीडियो के साथ करना होता है। और अगर आपकी वेबसाइट में बेकार javascript या बेकार CSS है तो आपको उसे हटाना होगा। और आपको एक बात याद रखनी है आपको एक अच्छी होस्टिंग खरीदनी है जो अच्छे से काम कर सके। आपको कोई भी कम कीमत वाली होस्टिंग नहीं खरीदनी चाहिए, नहीं तो आपकी साइट अच्छा परफॉर्म नहीं करेगी।

FID:First Input Delay

FID:First Input Delay

यह भी आपकी वेबसाइट के लिए एक अच्छा Metrix है। यह आपको बताता है कि अगर आपकी वेबसाइट पर कोई बटन है और कोई यूजर आपकी वेबसाइट पर जाता है और उस बटन पर क्लिक करता है तो बटन पर क्लिक करने के बाद उस चीज को खुलने में कितना समय लगता है और इसी तरह अगर आपकी वेबसाइट पर कोई लिंक है और कोई उस लिंक पर क्लिक करता है तो वह लिंक कितनी जल्दी खुलता है यह सब इस Metrix में देखा जाता है।यह सारा टाइम इसके अंदर आपको पता चलता है

  1. Good: 100 milliseconds या उससे कम
  2. Needs Improvement: 100 – 300 milliseconds
  3. Poor: 300 milliseconds या उससे ज्यादा

कैसे ठीक करें

आपको अपनी वेबसाइट से बेकार की Javascript को हटाना होगा तभी यह समस्या हल होगी और आपको सावधान रहना होगा कि जब भी आप कहीं से कोई कोड उठाकर अपनी वेबसाइट पर डालें तो आपको यह जांचना होगा कि वह कोड आपकी वेबसाइट के लिए सही है या नहीं, अगर ऐसा लगता है कि उस कोड से आपकी वेबसाइट को नुकसान हो सकता है तो उस कोड को अपनी वेबसाइट पर बिल्कुल भी न डालें

CLS:Cumulative Layout Shift

CLS:Cumulative Layout Shift

यह भी एक बहुत ही अच्छा Metrix है। यह आपकी वेबसाइट पर ये देखते हैं की अगर कोई यूजर आपकी वेबसाइट पर आता है और वह आपकी वेबसाइट को स्क्रॉल करता है तो स्क्रॉल करते समय क्या आपकी इमेज इधर-उधर तो नहीं जा रही है या फिर आपकी वेबसाइट पर मौजूद टेक्स्ट या बटन इधर-उधर तो नहीं हो रहे हैं। इस Metrix का काम सिर्फ आपको यह बताना है कि यूजर का आपकी वेबसाइट पर कैसा अनुभव है।

  1. Good: .1.5 या उससे कम
  2. Needs Improvement: 1.5 – 2.5
  3. Poor: 2.5 या उससे ज्यादा

कैसे ठीक करें

इस समस्या को ठीक करने के लिए आपको यह देखना होगा कि यदि आपकी वेबसाइट पर विज्ञापन चलते हैं, तो आपको अपने विज्ञापनों की प्लेसमेंट में सुधार करना होगा, आपको अपने विज्ञापनों की ऊंचाई और चौड़ाई को ठीक से Manage करना होगा ताकि आपकी वेबसाइट पर कोई समस्या न हो और जब आप अपनी वेबसाइट पर Images जोड़ते हैं, तो आपको उन Images को उचित आकार में रखना होगा, इसी तरह वीडियो के लिए भी आप अपने पास से कोई भी साइज ना रखें

Core Web Vitals के फायदे क्या-क्या है

गूगल में रैंकिंग अच्छी होती है

अगर आपकी वेबसाइट अच्छे से काम करती है, मतलब अगर कोई आपकी वेबसाइट पर जाता है और आपकी वेबसाइट जल्दी खुलती है और आपकी वेबसाइट पर मौजूद इमेज, बटन, लिंक सब अच्छे से काम करते हैं तो गूगल यह सब नोट करता है और उस वेबसाइट को अच्छी रैंक देता है जिस वेबसाइट पर ये सब चीजें अच्छी होती हैं।Core Web Vitals in Hindi

यूजर एक्सपीरियंस अच्छा होता है

अगर आपकी वेबसाइट अच्छी है, तो इसका मतलब है कि आपकी वेबसाइट का इस्तेमाल करना आसान होगा। अगर आपकी वेबसाइट का इंटरफ़ेस अच्छा है, तो Google आपकी वेबसाइट को रैंक करता है। अगर आपकी वेबसाइट किसी भी व्यक्ति को अच्छा अनुभव देती है, तो Google ऐसी वेबसाइट को रैंक करता है। Google ने अपने एल्गोरिदम में भी इसका जिक्र किया है।

मोबाइल ऑप्टिमाइजेशन

अगर आपकी वेबसाइट पूरी तरीके से मोबाइल फ्रेंडली हैआपकी वेबसाइट मोबाइल पर अच्छे से काम करती है मोबाइल पर आपकी वेबसाइट को इस्तेमाल करने में कोई भी दिक्कत नहीं आती है तो ऐसी वेबसाइट को गूगल में रैंकिंग मिलती हैआपको यह देखना है कि आप की वेबसाइट मोबाइल फ्रेंडली है या नहीं आपको अपनी वेबसाइट को मोबाइल फ्रेंडली ही रखना है

लंबे समय तक फायदा

अगर आपकी वेबसाइट की परफॉरमेंस अच्छी है और वेबसाइट इस्तेमाल करने में कोई परेशानी नहीं होती तो लोग ऐसी वेबसाइट पर आते रहते हैं जिससे आपकी वेबसाइट की वैल्यू भी बढ़ती है और इसका फायदा आपको लंबे समय तक मिलता है क्योंकि अच्छी वेबसाइट को लोग दूसरे लोगों के साथ शेयर भी करते हैं जिससे वेबसाइट की वैल्यू और ट्रैफिक दोनों बढ़ते हैं तो इससे आपकी वेबसाइट को लंबे समय में फायदा होगा

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